ऑपरेशन लोटस: देश की राजनीति में ऑपरेशन लोटस का नाम सुनते ही विपक्ष की नींद उड़ जाती है, खबर महाराष्ट्र से आ रही है जल्दी ही महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस होने जा रहा है, लोकसभा में महाराष्ट्र से बुरी हार मिलने के बाद बीजेपी को ये डर सता रहा था कि कहीं राज्य भी हात से ना निकल जाए, पर महाराष्ट्र में NDA को भारी जीत मिली और विरोधियों का तो सुपड़ा साफ़ हो गया, इससे बीजेपी का आत्मविश्वास सातवें आसमान पर हैं, और वो जमकर दिल्ली के चुनावी तयारी में लगे हुए है, मगर सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि जल्दी बीजेपी महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस को अंजाम देने वाली है।
लोकसभा में बीजेपी ने 400 पार का नारा दिया लेकिन नतीजे कुछ और ही आए, बीजेपी 272 आंकड़ा भी नहीं छु पाई वो 240 तक आकर रुक गईं और दस साल के बाद फिर एक बार एक गठबंधन की सरकार का गठन हुआ हालांकि उसका नेतृत्व नरेंद्र मोदी ही कर रहे है लेकिन इस गठबंधन में मोटे तौर पर बीजेपी के बाद जो दो बड़ी पार्टियां है उसमें टीडीपी जिसका नेतृत्व चंद्रबाबू नायडू कर रहे हैं और दूसरी जेडीयू जिसके नेता नीतीश कुमार है, आंध्रप्रदेश के तो चुनाव लोकसभा के साथ ही हुए पर बिहार का चुनाव अगले साल अक्टूबर में नियोजित है और नीतीश कुमार के बारे में जो डर बीजेपी को सताता है वो उनका पलटी मारने का स्वभाव और बीजेपी उनके भरोसे पे नहीं रह सकती इसलिए बीजेपी दूसरे कुछ विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर रही है, जिनके साथ गठबंधन हो सकता है, लोकसभा चुनाव के बाद ऐसा लग रहा था कि बीजेपी बैकफुट पर चली गई है, मोदीजी की लोकप्रियता कम हो गई लेकिन हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावी नतीजे देखकर विरोधी दलों में से कुछ दलों को ऐसा लग रहा है कि ये सरकार मजबूत,स्थिर है और ये अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी।अब बात महाराष्ट्र की करते है तो महाराष्ट्र में कुछ ऐसी ही खबरें शिवसेना और एनसीपी में टूट होने के पहले आ रही थीं कि महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस होने वाला है और अभी ऐसी ही कुछ बातें निकल कर आ रही है, विपक्षी दलों के सांसदों में एक मतप्रवाह निकल आ रहा है कि बीजेपी के साथ जाना चाहिए, इसमें एनसीपी शरद पवार गुट,शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट और कांग्रेस के सांसदों का समावेश है क्योंकि हालात ही कुछ ऐसे बन गए है खासकर कर महाराष्ट्र के चुनाव के बाद विपक्षी दल बीजेपी के पास आने का प्रयास कर रहे है, हाल ही में उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से नागपुर में मुलाकात की वहीं दूसरी और शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की दोनों नेता बीजेपी के साथ जाने का मन बना रहे है और बीजेपी को भी उनकी जरूरत है आपने देखा होगा कि वक्फ बोर्ड और वन नेशन, वन इलेक्शन के विधेयकों को जेपीसी के पास भेजना पड़ा दस साल में शायद ही ऐसा पहली बार हुआ होगा कि मोदीजी कोई बिल लेकर आए और उसे जेपीसी के पास भेजना पड़े, मगर दो तिहाई बहुमत ना होने के कारण उनको ऐसा करना पड़ रहा है,तो बीजेपी भी उनके साथ स्ट्रेटेजिक अलायंस कर सकती है हालांकि उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ उनके संबंध बिगड़े हुए हैं उसका कारण उनकी पार्टियों में हुई टूट,अब ये देखना पड़ेगा कि ये दोनों नेता अपने बिगड़े हुए संबंध बाजू रखकर क्या बीजेपी के साथ जाते हैं।
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